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लेखनी प्रतियोगिता -12-Sep-2022

पैराहन बदलना जान लिया अब मन बदलना सीखो
काफिले बनाने की इच्छा है तो अकेले चलना सीखो

शराबी,जुआरि,आवारो का साथ अच्छा नहीं जवानों
मे कहता हू ये राहें पतन की है इनसे निकलना सीखो

बड़ों को भूख बड़ी लगी रहती है मान-सम्मान की
अगर चाहिए तो छोटों संग इज्ज़त से मिलना सीखो

सुविधाओं मे बैठे रहने से कभी नहीं मिलती कामयाबी
इसकी चाह रखते हों तो पहले धूप मे जलना सीखो

बेवकूफ़ हो जो चेहरा देख दोस्त बनाते फिरते हो
इंसान की फितरत समझो रूह तक ढलना सीखो

जहाँ जरूरत ही नहीं होती वहा मोम बन जाते हो
अरे किसी बेबस की तकलीफ पर पिघलना सीखो

मेरे लाल मेरे सहारे की आरजू छोड़ दो तुम
बड़े हो गए हों अब खुद से सम्हलना सीखो

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12 Comments

Waahhhh लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Ajay Tiwari

13-Sep-2022 09:01 AM

Nice

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Abhinav ji

13-Sep-2022 07:50 AM

Nice👍

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